ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस न लें प्राइवेट स्कूल : दिल्ली सरकार

ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस न लें प्राइवेट स्कूल : दिल्ली सरकार

नई दिल्ली कोरोना संक्रमण के दौर में अभिभावकों की आर्थिक पर‍िस्थ‍ित‍ियों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सरकार के श‍िक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों को आदेश जारी कर दिए हैं। इनके मुताबिक प्राइवेट स्कूल कोरोना काल में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य किसी विषय में फीस नहीं ले सकते।

शिक्षा विभाग ने साथ ही यह भी आदेश दिया है कि लॉकडाउन के बाद मासिक आधार पर वार्षिक और विकास शुल्क आनुपातिक रूप से वसूला जा सकता है। आपको बता दें कि इससे पूर्व 17 अप्रैल और 18 अप्रैल को दिल्ली सरकार ने निर्देश दिया था कि अब दिल्ली सरकार के ताजा आदेश से निजी स्कूलों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।

लॉकडाउन के समय में अभिभावकों को सभी निजी-सहायता प्राप्त,मान्यता प्राप्त स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं देना है। विकास और सालाना शुल्क माता-पिता से लिया जा सकता है, वह लॉकडाउन का समय पूरा होने के बाद फीस मासिक आधार पर ले सकते हैं। स्कूल खुलने के पर माता-पिता से कोई फीस नहीं ली जाएगी जैसा कि ट्रांसपोर्ट फीस आदि, अभिभावकों से नहीं ली जाएगी।

किसी भी स्थिति में स्कूल, अभिभावकों या छात्रों से ट्रांसपोर्ट फीस नहीं मांगेंगे। इसका आश्रय है कि फीस केवल मासिक आधार पर इकट्ठा की जाएगी। शिक्षा विभाग से निजी स्कूल को यह निर्देश जारी कर दिए गए हैं। शिक्षा विभाग के आदेश में आगे निर्देश दिए गए हैं कि "शैक्षणिक सत्र 2020-21 में किसी भी फीस को नहीं बढ़ाया जाएगा। इस तथ्य के बावजूद कि विद्यालय निजी भूमि या डीडीए या अन्य सरकारी भूमि के स्वामित्व वाली एजेंसियों द्वारा आवंटित भूमि पर चल रहा है या नहीं, किसी भी फीस वृद्धि से पहले निदेशक शिक्षा विभाग की सहमति लेनी अनिवार्य होगी। साथ ही डीडीए या अन्य सरकारी भूमि के स्वामित्व वाली एजेंसियों के स्वामित्व वाली भूमि पर चल रहे स्कूल उपर्युक्त शुल्क को निदेशक शिक्षा विभाग द्वारा अनुमोदित अंतिम शुल्क संरचना के आधार पर इकट्ठा करेंगे।

दिल्ली में सभी स्कूल बिना कोई भेदभाव किए सभी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा सामग्री व कक्षाएं प्रदान करेंगे। स्कूलों को शिक्षण सामग्री तक छात्रों की ऑनलाइन पहुंच के लिए ऑनलाइन कक्षा का लिंग के साथ आईडी और पासवर्ड देना होगा।

शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी निर्देशित किया गया कि "स्कूलों के प्रिंसिपल किसी भी स्थिति में उन छात्रों के अभिभावकों को आईडी और पासवर्ड से वंचित नहीं करेंगे जो उन छात्रों को ऑनलाइन शैक्षिक सुविधा व कक्षाएं सामग्री आदि प्राप्त करने के लिए है, जो आर्थिक संकट के कारण स्कूल शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ है।

शिक्षा विभाग के आदेश में यह भी कहा गया कि स्कूलों या स्कूलों के प्रमुखों की प्रबंध समिति फीस का कोई नया प्रमुख बनाकर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं डालेगी। स्कूल न तो फंड की अनुपलब्धता के नाम पर स्कूल के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के कुल वेतन को कम करने के लिए मासिक वेतन का भुगतान रोक देंगे और न ही समाज या ट्रस्ट चलाने से किसी कमी के मामले में धन की उपलब्धता करेंगे।

आदेश में यह भी निर्देश दिया गया कि "छात्रों के अभिभावकों से ही नहीं, अपितु अन्य लोगों से भी कई शिकायतें मिल रही हैं, जिसमें आरोप है कि दिल्ली के कई प्राइवेट स्कूलों ने सालाना फीस, विकास जैसे ट्यूशन फीस के अलावा कई अन्य विषयों के तहत फीस वृद्धि करना प्रारंभ कर दिया है। प्रभारी, शिक्षा निदेशालय द्वारा 17 अप्रैल और 18 अप्रैल को जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन करते हुए, इस तरह का कार्य उपरोक्त निर्देशों का उल्लंघन है। स्कूलों का ऐसा कार्य उपरोक्त उल्लिखित आदेशों के स्पष्ट उल्लंघन में है। महामारी की स्थिति और शिक्षण संस्थानों को लंबे समय तक बंद रखने के कारण उनकी ओर से ऐसा करना अमानवीय कृत्य है।

दिल्ली सरकार द्वारा निर्देशित, "18 अप्रैल, 2020 को जारी किए गए आदेशों का अनुपालन करने के लिए, इसकी समग्रता में यदि किसी प्राइवेट स्कूल ने 18 अप्रैल को आदेश के उल्लंघन में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस ली है तो तुरंत वापस दें या समय पूर्व फीस में जमा किया जाए। यह फिर से दोहराया गया है कि 18 अप्रैल, 2020 के आदेश के उल्लंघन में ट्यूशन फीस या ट्यूशन फीस में कोई भी बढ़ोतरी नहीं होगी या इसके अलावा कोई भी राशि किसी भी प्राइवेट स्कूल द्वारा नहीं ली जाएगी।

स्कूल दिनांक 18-04-2020 और साथ ही उच्च न्यायालय, 24-04-2020 के आदेश के मुताबिक ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं। इस आदेश का मतलब यह है कि इस आदेश का पालन सख्ती से किया जाना चाहिए। दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम, 1973 या अन्य लागू कानून की धारा 24 के तहत उल्लंघन करने पर स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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