उपलब्धि - मुजफ्फरनगर में किसानों को हुआ 92.51% गन्ना भुगतान

उपलब्धि - मुजफ्फरनगर में किसानों को हुआ 92.51% गन्ना भुगतान

मुज़फ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में किसान कल्याण को लेकर बड़ा काम किया गया है। इसमें गन्ना किसानों के हितों को लेकर बीते साढ़े तीन सालों में सरकार ने जिस प्रकार से नई व्यवस्थाओं को अमलीजामा पहनाने के साथ साथ गन्ना मूल्य के भुगतान का रिकाॅर्ड बनाया, उसने किसानों के जीवन को बदलने का काम किया। कोरोना वायरस संक्रमण के संकट के दौरान जब देश में आर्थिक चुनौतियां खड़ी थी, उस विपरीत स्थिति में भी शुगर मिलों से गन्ना किसानों के लिए भुगतान कराया गया। गन्ना मूल्य के भुगतान में सरकार की उपलब्धियां बेजोड़ रही हैं। गन्ने की पैदावार के सहारे चीनी उत्पादन में अग्रणी रहने के कारण यूपी में शुगर बाउल के रूप विख्यात जनपद मुजफ्फरनगर के किसानों को गन्ना भुगतान रिकाॅर्ड स्तर पर किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गन्ना मंत्री सुरेश राणा एंव अपर मुख्य सचिव गन्ना संजय आर भूसरेड्डी के कार्यकाल में चार पेराई सत्रों में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान मुजफ्फरनगर के गन्ना किसानों को 8 शुगर मिलों से 9967 करोड़ रुपये के गन्ने मूल्य का भुगतान किया गया। यह रकम कुल गन्ना आपूर्ति के लिए बने बकाया भुगतान का 92.51 प्रतिशत है।


मुजफ्फरनगर जनपद को किसान राजनीति का केन्द्र माना जाता है। यहां पर गन्ने की काफी अच्छी पैदावार होने के कारण हमेशा ही गन्ना किसानों का मुद्दा गर्माया रहता है। यहां से देश के कई बड़े किसान आंदोलन को भी लीड किया गया है। जनपद मुजफ्फरनगर में 8 चीनी मिलों के सहारे चीनी उत्पादन अच्छा होने के कारण इसे शुगर बाउल भी कहा जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में राज्य भर में किसानों और खासकर गन्ना किसानों के हितों को लेकर विभागीय स्तर पर काफी बदलाव हुआ, योजनाओं और कार्यक्रमों को नये ढंग से पारदर्शी व्यवस्था में लागू कराया गया, तो इसका लाभ भी किसानों को मिला। इन कार्यक्रमों को मुजफ्फरनगर में काफी सटीक तरीके से लागू करते हुए गन्ना मूल्य भुगतान पर ज्यादा काम किया गया।


यहां पर जिला गन्ना अधिकारी डा. आर.डी. द्विवेदी ने शासन की योजनाओं को आम किसानों तक बेहतर ढंग से पहुंचाने में सफलता अर्जित की है। उनके कार्यकाल में जनपद में गन्ना माफियाओं पर लगातार कार्यवाही हुई और फर्जी सट्टा का भंडाफोड़ किया गया। इसके साथ ही जनपद में किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कराने के लिए बेहतर समन्वय के साथ काम किया गया। जिला गन्ना अधिकारी आर.डी. द्विवेदी बताते हैं कि मुजफ्फरनगर में अभी तक 9967 करोड़ 8 लाख 72 हजार रुपये का भुगतान गन्ना मूल्य के रूप में किसानों को किया गया है। इनमें खतौली शुगर मिल द्वारा सर्वाधिक 2295 करोड़ 58 लाख 73 हजार का भुगतान किसानों को किया गया है। इसके अलावा तितावी शुगर मिल द्वारा 1615 करोड़ 86 लाख 37 हजार, भैसाना शुगर मिल द्वारा 1596 करोड़ 20 लाख 7 हजार, मंसूरपुर शुगर मिल द्वारा 1484 करोड़ 08 लाख 49 हजार, टिकौला शुगर मिल द्वारा 1502 करोड़ 20 लाख 16 हजार,खाईखेड़ी शुगर मिल द्वारा 671 करोड़ 30 लाख 7 हजार, रोहाना शुगर मिल द्वारा 3167 करोड़ 09 लाख 69 हजार व मोरना शुगर मिल द्वारा 4850 करोड़ 05 लाख 14 हजार रूपये का भुगतान किया गया। जिला गन्ना अधिकारी डॉ आर.डी. द्विवेदी के अनुसार, ''मुजफ्फरनगर में 8 शुगर मिलों खतौली, तितावी, भैंसाना, मन्सूरपुर, टिकौला, खाईखेडी, रोहाना और मोरना से किसानों को कुल गन्ना मूल्य का 92.51 प्रतिशत भुगतान कराया जा चुका है, जो एक रिकाॅर्ड है।


मुजफ्फरनगर जनपद में पेराई सत्र 2016-17 में 19 मार्च 2017 के बाद से सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार में 893 करोड़ 35 लाख 47 हजार रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को किया गया था। अगले पेराई सत्र 2017-18 में जनपद की 8 शुगर मिलों से 2984 करोड़ 34 लाख 64 हजार रुपये का भुगतान हुआ। इसके अगले साल 2938 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान हुआ। पेराई सत्र 2019-20 में 20 नवम्बर 2020 तक मुजफ्फरनगर के गन्ना किसानों को 3150 करोड़ 44 लाख 14 हजार रुपये का भुगतान किया जा चुका है। गन्ना विभाग के अनुसार,''इन चार पेराई सत्रों के लिए अब तक 9967 करोड़ 08 लाख 72 हजार रुपये के गन्ने मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।


जिला गन्ना अधिकारी आर.डी. द्विवेदी बताते हैं, ''मुजफ्फरनगर जनपद में कोविड-19 संकट के दौरान भी किसानों को करोड़ों रुपये का भुगतान शुगर मिलों से कराया गया। इतना ही नहीं किसानों का गन्ना खेत में खड़े रहने तक शुगर मिलें चलवाने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता पर भी यहां पूरा अमल किया गया है। मन्सूरपुर शुगर मिल 19 जून 2020 तक कोरोना संकट के बीच भी चलवाई गई, जो यूपी में सबसे देर तक मिल चलने का रिकाॅर्ड भी बना। जनपद में किसानों के लिए अन्य योजनाओं को भी पूरी पारदर्शी के साथ लागू कराया गया। इसमें गन्ना तौल केन्द्रों पर लगातार निगरानी करते हुए घटतौली पर अंकुश लगाया गया।



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