कुलभूषण जाधव पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का फैसला आज

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पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में नीदरलैंड का हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) आज फैसला सुनाएगा। इसके लिए पाकिस्तान के कानूनी विशेषज्ञों की एक टीम हेग पहुंच चुकी है। पाकिस्तानी कानूनी टीम का नेतृत्व पाक के महान्यायवादी मंसूर खान कर रहे हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि जाधव एक भारतीय जासूस हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया था। पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 को बंद कमरे में सुनवाई के बाद जासूसी और आतंकवाद के आरोपों में भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी जाधव को मौत की सजा सुनाई थी।



जानकारों के अनुसार इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय बीच का कोई फैसला सुना सकता है, क्योंकि आईसीजे भारत की आपत्तियों को पूरी तरह से खारिज करने की बात शायद ही करेगा और अगर कोर्ट भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुलभूषण जाधव की रिहाई का आदेश दे भी देता है तो शायद ही इस्लामाबाद इस पर अमल करे, क्योंकि इससे पाकिस्तान की सरकार के लिए अपने ही घर में चेहरा दिखाना मुश्किल हो जाएगा। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट पाकिस्तान से जाधव को फांसी की सजा न देने और राजनयिक पहुंच देने की अनुमति देने का आदेश भी दे सकता है।

बता दें कि भारत हर हाल में जाधव की रिहाई चाहता है और उसने मजबूती से कोर्ट में अपना पक्ष भी रखा है। भारत को यह कतई मंजूर नहीं है कि जाधव को भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के लिए काम करने वाला जासूस करार दिया जाए।

ज्ञात हो कि कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया था। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के एजेंट हैं, जबकि वह कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे। 25 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने एक प्रेस रिलीज के जरिए भारतीय अधिकारियों को जाधव की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी। बाद में पाकिस्तान ने जाधव के कथित कबूलनामे का एक वीडियो भी जारी किया था। कई जानकारों ने दावा किया कि जाधव से मजबूरन आरोप कबूल करवाए गए।

भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक जाधव कानूनी तौर पर ईरान में अपना व्यापार करते थे। उन्हें जबरन हिरासत में लेकर परेशान किया गया। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया। पाकिस्तान भारत के इस सवाल का जवाब देने में नाकाम रहा कि वह पाकिस्तान कैसे पहुंचे? भारत की दलीलों और अनुरोधों का पाकिस्तान पर कोई असर नहीं पड़ा और 10 अप्रैल 2017 को जाधव को जासूसी का दोषी मानते हुए पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुना दी। इस बीच भारत ने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के अफसरों की जाधव से मुलाकात करवाने की 16 बार इजाजत मांगी, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने हर बार ठुकरा दिया। कुलभूषण जाधव की पत्नी और मां भी उनसे मिलने के लिए बार-बार गुहार लगाती रहीं। 9 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी। अंतरराष्ट्रीय अदालत में इस मामले में कई दौर में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट में भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना पक्ष रखा था।

भारत का तर्क है कि इस्लामाबाद ने जाधव तक राजनयिक पहुंच न देकर विएना संधि का उल्लंघन किया है। विएना संधि के अनुच्छेद 36 के तहत, अगर कोई विदेशी नागरिक गिरफ्तार किया जाता है या हिरासत में लिया जाता है तो उनके दूतावास को बिना किसी देरी के सूचना दी जानी चाहिए।

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